सदा, सर्वदा सुमंगलकारिणी। नारी तू नारायणी। सदा, सर्वदा सुमंगलकारिणी। नारी तू नारायणी।
वह व्यथा वह व्यथा
खुद तिल-तिल सुलगकर राख होती रहती है.....। खुद तिल-तिल सुलगकर राख होती रहती है.....।
बहुत मन था, उसे वापस एक बार प्यार करने का, पर फिर अगर उससे बेवफाई ही पायी तो ? बहुत मन था, उसे वापस एक बार प्यार करने का, पर फिर अगर उससे बेवफाई ही पायी तो ?
ताकि वस्ल की रात कुछ लंबी हो, ज्यादा नहीं तो, मेरी मौत तक ? ताकि वस्ल की रात कुछ लंबी हो, ज्यादा नहीं तो, मेरी मौत तक ?
वह तो निरंतर गतिशील होकर ही मानती है। वह तो निरंतर गतिशील होकर ही मानती है।